Jun 14, 2013

राजपूतों के खिलाफ लिखने से ईतिहास नही बदल जाएगा

राजपुतों के खिलाफ कई वेबसाईट आपको मिल जाएंगे जिनका कुछ और काम नही है बस दुसरों की बेकार मे बुराई करना है और बिना किसी ठोस सबुत के ही लिखते रहते हैं।

एक साईट पर पढा था जिसमे राजपूतों की जम कर बुराई की गई है जैसे उनको बाहर से आए लोग कहा गया है लेकीन एसा कौन सा जाती है जो बाहर से आ कर नही बसा है?  मैने तो ईतिहास के किताब मे पढा था अधीकतर जातीयां अफ्रिका से आ कर दुसरे दुसरे जगहो पर बसी थी और आखीर सभी मनुष्य धरती के ही हैं या जो राजपुतों के खिलाफ लिखते हैं वो चांद पर रहते हैं और वही से राजपुतों के खिलाफ लिखते रहते हैं?


उस साईट पर और भी बहुत कुछ लिखा है और एक लेख एसा जिसके बारे मे मैने कभी कही सुना नही है और रामायण मे आपने ईसके बारे मे कभी सुना भी नही होगा
- कई बार परसूराम ने क्षत्रिय Dynasty को खत्म किया लेकीन राजपुतो के खिलाफ लिखा गया है की जब क्षत्रिय को मार दिया तो "ब्राहमणॊ ने माउंट आबू पर जा कर तपस्या किया"


राजपुत अगर गलत थे तो उस समय उन लोगो कि क्या भूमिका थी? और अगर सवाल पुछने लगू तो एसे लेख लिखने वाले लोगों के मुह खुद ही बंद हो जाएंगे। एसे साईट अगर रिसर्च करने के बजाए कुछ काम करते तो ज्यादा  अच्छा होता।


राजपुतों के खिलाफ लिखने से ईतीहास नही बदल जाएगा।
जो ईतीहास के रचैता हैं वो आज के विजेता हैं।

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